हमारा लक्ष्य ( Our Mission )

हिंदी साहित्य एवं शोध को समर्पित हमारे संस्थान का लक्ष्य आरंभ से ही नवीनतम शोध को प्रोत्साहित करना रहा है।

 

संस्थान ने सर्वप्रथम 1964 में 'तीर और तरंग' नामक काव्य-संग्रह का प्रकाशन किया। इस संग्रह में जनपद मुरादाबाद के नए और पुराने सभी रचनाकारों की रचनाएँ प्रकाशित की गइंर्। इस संग्रह में शामिल रचनाकार आज देश के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों की श्रेणी में हैं।

 

1989 मेें संस्थान ने शोध-संदर्भ ग्रंथ का प्रकाशन किया। इस संदर्भ ग्रंथ में हिंदी-शोध के आरंभ से लेकर 1979 तक स्वीकृत लगभग 4500 शोध-प्रबंधों का विवरण प्रस्तुत किया, जो एक दुर्लभ कार्य है। शोध-संदर्भ के अब तक पाँच भाग प्रकाशित हो चुके हैं।

 

हिंदी शोधकार्य के संदर्भ में संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका 'शोध-दिशा (शोधांक)' नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। इस पत्रिका में विविध विषयों के शोधालेख प्रकाशित हो रहे हैं। पत्रिका के अब तक 20 अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

 

समकालीन सृजन को समर्पित संस्थान की एक दूसरी त्रैमासिक पत्रिका 'शोध-दिशा' है। पत्रिका का प्रत्येक अपना विशेष महत्त्व लेकर प्रकाशित होता है।

 

संस्थान ने अब तक हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश के दो भाग प्रकाशित किए हैं जिसमें लगभग 3000 साहित्यकारों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। शोध की दृष्टि संस्थान का यह एक विशिष्ट कार्य है।

 

संस्थान ने अब तक 30 से अधिक समीक्षा एवं समालोचना ग्रंथ प्रकाशित किए हैं।

 

हिंदी साहित्य निकेतन द्वारा अब तक कोश एवं संदर्भ ग्रंथ, समीक्षा एवं समालोचना, हास्य-व्यंग्य, कहानी, उपन्यास, एकांकी-नाटक, ललित-निबंध एवं रेखाचित्र, गीत एवं ग़ज़ल, आत्मकथा एवं संस्मरण, बालसाहित्य आदि विविध विधाओं में 300 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं।

 

भविष्य में भी हमारा लक्ष्य हिंदी-शोध के नवीनतम आयाम स्थापित करना रहेगा। ऐसा हमारा विश्वास है।